इराक में मिले प्राचीन बाबुल के भजन का रहस्य

इराक में एक हज़ार साल से गुम बाबुल का २,००० साल पुराना भजन फिर से खोजा गया है। यह भजन बाबुल की महिमा का गुणगान करता है और इसके निवासियों, खासकर महिलाओं की पुजारिन के रूप में भूमिकाओं की जानकारी देता है। विद्वानों ने एक एआई-सहायक प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करके इस भजन से संबंधित ३० पांडुलिपियों की पहचान की, एक प्रक्रिया जो पहले दशकों में पूरी होती। इस भजन के २५० पंक्तियों वाले पूर्ण पाठ को समझा गया है, जिसमें पहले के गुम हुए भाग भी शामिल हैं। इसकी अनेक प्रतियों से पता चलता है कि यह पाठ व्यापक रूप से प्रसारित था और स्कूली बच्चों द्वारा भी इसकी नकल की जाती थी। एक बाबुलवासी द्वारा अपने शहर की प्रशंसा में लिखा गया यह भजन, इसकी इमारतों और फ़रात नदी के जीवनदायी जल का वर्णन करता है, जो मेसोपोटामिया के साहित्य में प्राकृतिक घटनाओं का एक दुर्लभ विस्तृत चित्रण है। पाठ में बाबुल के निवासियों द्वारा विदेशियों के प्रति सम्मान को भी उजागर किया गया है। ये पांडुलिपियाँ ७वीं और पहली शताब्दी ईसा पूर्व के बीच की हैं, जिनका मूल सिप्पर पुस्तकालय से माना जाता है, जिसे बाढ़ के पानी से बचाने के लिए छुपाया गया था। लगभग २००० ईसा पूर्व स्थापित बाबुल कभी दुनिया का सबसे बड़ा शहर और एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्र था।